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Articles by विन्न कॉलियर

एक अलग भविष्य की कल्पना

अमेरिका के छोटे से शहर नियोदेशा के तीन सौ मिडिल  और हाई स्कूल के छात्रों ने एक आश्चर्यजनक स्कूल असेंबली में प्रवेश किया। फिर वे यह सुनकर अविश्वास में बैठ गए कि उनके शहर से जुड़े एक दम्पति ने अगले पच्चीस वर्षों के लिए प्रत्येक नियोदेशा छात्र के लिए कॉलेज ट्यूशन का भुगतान करने का फैसला किया है। छात्र स्तब्ध, अति प्रसन्न और आँसुओ से भरे थे।

नियोदेशा आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित था, जिसका मतलब था कि कई परिवार इस बात को लेकर चिंतित थे कि कॉलेज के खर्चों को कैसे पूरा किया जाए। यह दान एक पीढ़ीगत परिस्थिति को बदलने वाला था, और दानदाताओं को यह आशा थी कि यह मौजूदा परिवारों को तो तुरंत प्रभावित करेगा ही, दूसरों को भी नियोदेशा में आने  के लिए प्रोत्साहित करेगा। उनकी इस उदारता के द्वारा वे नई नौकरियों, नई जीवन शक्ति-शहर के प्रज्वलित होने की कल्पना कर रहे थे।

परमेश्वर ने चाहा कि उसके लोग न केवल अपनी मूल आवश्यकताओं की ओर ध्यान देकर बल्कि अपने संघर्षरत पड़ोसियों के लिए एक नए भविष्य की कल्पना करके भी उदार बनें। परमेश्वर के निर्देश स्पष्ट थे: "फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको सम्भालना;" (लैव्यव्यवस्था 25:35)। उदारता न केवल बुनियादी भौतिक जरूरतों को पूरा करने के बारे में थी, बल्कि इस बात पर भी विचार करने के बारे में थी कि एक समुदाय के रूप में उनके भविष्य के जीवन में एक साथ क्या आवश्यकता होगी। परमेश्वर ने कहा, "उसको सम्भालना; ...तेरे संग रहे। " (पद 35)।

देने का सबसे गहरा रूप एक अलग भविष्य की कल्पना करता है। परमेश्वर की विशाल, रचनात्मक उदारता हमें उस दिन की ओर प्रोत्साहित करती है जब हम सभी एक साथ पूर्णता और भरपूर जीवन जीएंगे।

कड़वाहट पर करुणा

जब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टावर्स 11 सितम्बर 2001, में गिरा था, मलबे में मरने वालों में ग्रेग रोड्रिगेज भी शामिल थे। जब उसकी माँ, फीलिस और उसके पिता शोकित हुए, उन्होंने इस तरह के भीषण हमले पर उनकी प्रतिक्रिया पर भी ध्यान से विचार किया। 2002 में, फीलिस आइचा अल-वेफे एक व्यक्ति की मां से जिस पर आतंकवादियों की मदद करने का आरोप लगाया था मुलाकात की। फीलिस ने कहा वह “उसके पास पहुंची और मेरी बाहें खोल दीं। हम गले लगाए और रोये...आइचा और मेरे लिए एक  तत्काल संबंध था ...हम दोनों  हमारे पुत्रों के कारण पीड़ित थे।”

फीलिस आइचा से मिली और दर्द और दुःख बाँटा। फीलिस ने विश्वास किया की जो रोष उसके बेटे की मृत्यु पर जैसा कि वह उचित था, उसकी पीड़ा को ठीक नहीं कर सका। आइचा की पारिवारिक कहानी सुनकर, फीलिस ने करुणा महसूस की, उन्हें केवल शत्रु के रूप में देखने की परीक्षा का विरोध किया। वह न्याय चाहती थी, लेकिन विश्वास कि, की हमें बदला लेने के प्रलोभन को छोड़ना होगा जो की अक्सर जब हमारे साथ अन्याय होता है तब हमें जकड़ लेता है।

प्रेरित पौलुस ने इस विश्वास को बाँटा, और हमें चेतावनी दिया “सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध, ... सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।” (इफिसियों 4:31)। जब हम इन विनाशकारी शक्तियों को त्याग देते हैं, तो परमेश्वर का आत्मा हमें नए दृष्टिकोण से भर देता है। पौलुस कहता है  “एक दूसरे पर कृपालु और करुणामय हो, ” (32)। उग्र प्रतिशोध से इनकार करते हुए भी गलत को सही करने के लिए काम करना संभव है। आत्मा हमें करुणा दिखाने में मदद करें जो कड़वाहट पर काबू पाती है.

सही रास्तों को पहचानना

किसी ने विश्वास नहीं किया होगा कि सोलह वर्षीय ब्राजीलियाई स्केटबोर्डर फेलिप गुस्तावो "ग्रह पर सबसे प्रसिद्ध स्केटबोर्डर्स में से एक" बन जाएगा। गुस्तावो के पिता का मानना ​​था कि उनके बेटे को पेशेवर रूप से स्केटिंग के अपने सपने को पूरा करने की जरूरत है, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। इसलिए उनके पिता ने अपनी कार बेच दी और अपने बेटे को फ्लोरिडा में एक प्रसिद्ध स्केटिंग प्रतियोगिता में ले गए। गुस्तावो के बारे में किसी ने नहीं सुना था। . . जब तक वह जीते नहीं। और जीत ने उन्हें एक अद्भुत करियर में पहुँचा दिया।

गुस्तावो के पिता में अपने बेटे के दिल और जुनून को देखने की क्षमता थी। "जब मैं एक पिता बनूँ ," गुस्तावो ने कहा, "मैं चाहता हूँ की मैं कम से कम वो ५ प्रतिशत बन पाऊ जो मेरे पिता मेरे लिए थे।

नीतिवचन वर्णन करता है उस अवसर का जो माता-पिता के पास होता है जिसमें वें अपने बच्चों को यह पहचानने में मदद करे कि परमेश्वर ने उनके दिल, ऊर्जा और व्यक्तित्व को किस विशेष तरह से तैयार किया है—और फिर उन्हें उस पथ की ओर निर्देशित और प्रोत्साहित करे जो दर्शाता है कि परमेश्वर ने उन्हें क्या होने के लिए बनाया है। लेखक ने कहा, "बच्चों को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिस में उसको चलना चाहिए, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा" (२२:६)।

हमारे पास हो सकता है विशाल संसाधन या गहन ज्ञान न हो। पर, परमेश्वर की बुद्धि (वव. १७-२१) और हमारे चौकस प्रेम के साथ, हम अपने ही प्रभाव क्षेत्र में अपने बच्चों और अन्य बच्चों को एक बहुत बड़ा उपहार दे सकते हैं। हम उन्हें परमेश्वर पर भरोसा और उन रास्तों को जिनका वे जीवन भर अनुसरण कर सकते हैं  पहचानने में मदद कर सकते है (३:५-६)।

पूरा घर

अपने धारीदार जंपसूट पहने, जेम्स पोर्टेबल पूल में चढ़ गया जहां उसे जेल के पादरी ने बपतिस्मा दिया था। हालाँकि जेम्स की खुशी कई गुना बढ़ गई, जब उसने सुना कि उसकी बेटी ब्रिटनी ने —एक कैदी भी— उसी दिन बपतिस्मा लिया था— उसी पानी में! जब उन्हें एहसास हुआ कि क्या हुआ है, तो कर्मचारी भी भावुक हो गए। “एक आंख भी सूखी नहीं थी,”  पादरी ने कहा। वर्षों तक जेल में कई बार रहने से ब्रिटनी और उसके पिता दोनों ही परमेश्वर से क्षमा चाहते थे। परमेश्वर ने एक साथ उन्हें नया जीवन दिया।

पवित्रशास्त्र एक और जेल मुठभेड़ का वर्णन करता है–इस बार एक जेलर के साथ–जहाँ यीशु के प्रेम ने एक पूरे परिवार को बदल दिया। एक भयंकर भूकंप के जेल को हिलाने के बाद,  और जेल के दरवाजे खुलने के बाद  पौलुस और सीलास भागे नहीं बल्कि अपनी कोठरी में रहे (प्रेरितों के काम16:26–28) । उनके न भागने से कृतज्ञता से भरा जेलर उन्हें अपने घर ले गए और अंततः जीवन बदलने वाला प्रश्न पूछा, “उद्धार पाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए? (पद 30) ।

“प्रभु यीशु पर विश्वास करो” उन्होंने उत्तर दिया, “तू और तेरा घराना” (पद 31)। यह उत्तर न केवल व्यक्तियों पर बल्कि पूरे परिवारों पर दया करने की ईश्वर की इच्छा को प्रकट करता है। परमेश्वर के प्रेम का सामना करते हुए, वे सभी, जेलर और उसके पूरा घराना, परमेश्वर पर विश्वास करने लगे (पद 34)। यद्यपि हम अक्सर उन लोगों के उद्धार के लिए उत्सुक होते हैं जिनसे हम प्रेम करते हैं, हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर हमसे अधिक उनसे प्रेम करता है। वह हम सभी को, हमारे पूरे घर को, नया बनाना चाहता है।

 

एक दूसरे की देख रेख करना

जानकी ने कोयंबटूर के एक गाँव में डॉक्टर के रूप में काम किया। कई साल पहले, उसने एक गर्भवती लड़की का इलाज किया, जिसकी शादी 14 साल की कम उम्र में हो गई थी; और उसने एक लड़की को जन्म दिया था। बालिकाओं के प्रति प्रतिकूल प्रवृत्ति के कारण, उसका परिवार बच्चे को पास की नदी में डुबाना चाहता था। परिवार की क्रूर मंशा जानते हुये जानकी ने चुपके से बच्चे और मां को सुरक्षित निकाल लिया। जानकी ने माँ को अपने घर में आश्रय, सुरक्षा और काम प्रदान किया और वे जानकी के परिवार का हिस्सा बन गए। जानकी ने न केवल बच्चे को बचाया, बल्कि उसने उस बच्चे में भी निवेश किया जो बड़ी होकर डॉक्टर बनी।

यद्यपि पवित्रशास्त्र बार–बार हमें एक दूसरे के प्रति चौकस रहने का निर्देश देता है, लेकिन कभी कभी अपनी स्वयं की चिंताओं से परे देखना कठिन होता है। भविष्यद्वक्ता जकर्याह ने इस्राएल को फटकार लगाई, जो परमेश्वर की आराधना करने या दूसरों की सेवा करने के बजाय “अपने लिए दावतें कर रहे थे“ (जकर्याह 7:6)। अपने साझे साम्प्रदायिक जीवन की उपेक्षा करते हुए उन्होंने अपने पड़ोसियों की आवश्यकता की अवहेलना की। जकर्याह ने परमेश्वर के निर्देशों को स्पष्ट किया— “लोगों का सच्चा न्याय करना, एक दूसरे पर दया और करुणा दिखाओ। और विधवा या अनाथ, परदेशी या कंगाल पर अन्धेर न करना (पद 9:10)।

जबकि हमारी अपनी ज़रूरतों को पूरा करना आसान है, विश्वास हमें दूसरों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बुलाता है। ईश्वरीय अर्थव्यवस्था में सभी के लिए बहुत कुछ है। और परमेश्वर अपनी दया में, उस भरपूर में से कुछ को दूसरों को देने के लिए हमें उपयोग करने के लिए चुनता है।

 

अब हम अनाथ नहीं

गाय ब्रायंट, जो अविवाहित थे और अपनी कोई संतान नहीं थी, न्यूयॉर्क शहर के बाल कल्याण विभाग में काम करते थे। प्रतिदिन उन्हें पालन-पोषण करने वाले माता-पिता की अत्यन्त आवश्यकता महसूस थी और इस समस्या का सामना करना पड़ता था और उन्होंने इसके बारे में कुछ करने का फैसला किया। एक दशक से अधिक समय तक, ब्रायंट ने पचास से अधिक बच्चों का पालन-पोषण किया, एक बार एक ही समय में नौ बच्चों की देखभाल की। ब्रायंट ने समझाया, "हर बार जब मैं घूमा तो एक बच्चा था जिसे रहने के लिए जगह की जरूरत थी।" "यदि आपके घर और दिल में जगह है, तो आप बस इसे करते है। आप वास्तव में इसके बारे में अधिक नहीं सोचते।" पालक बच्चे जो बड़े हो गए हैं और अपना जीवन स्थापित कर चुके हैं, उनके पास अभी भी ब्रायंट के अपार्टमेंट की चाबियां हैं और अक्सर "पौप्स" के साथ रविवार को दोपहर के भोजन के लिए आते हैं। ब्रायंट ने बहुतों को पिता का प्यार दिया है।

पवित्र शास्त्र हमें बताता हैं कि परमेश्वर उन सभी को स्मरण रखते हैं जिन्हें भुला दिया जाता है या अलग कर दिया जाता है। हालाँकि कुछ विश्वासी इस जीवन में खुद को बेसहारा और असुरक्षित पाते है, पर वह उनके साथ रहने की प्रतिज्ञा करता है। परमेश्वर "अनाथों का पिता" है (भजन 68:5)। यदि, उपेक्षा या त्रासदी के कारण, हम अकेले हैं, तब भी परमेश्वर है — हम तक पहुंच रहा है, हमें निकट खींच रहा है, और हमें आशा दे रहा है। वास्तव में, वह "अनाथों का घर बसाता है" (पद 6)। यीशु में, अन्य विश्वासी हमारे आत्मिक परिवार के हैं।

हमारी चुनौतीपूर्ण पारिवारिक कहानियाँ, हमारा अलगाव, हमारा परित्याग, या हमारी संबंधपरक शिथिलता जो भी हो, हम जान सकते हैं कि हमसे प्रेम किया गया है। परमेश्वर के साथ, हम अब अनाथ नहीं हैं।

पूरी दुनिया के लिए चंगाई

पश्चिमी स्लोवेनिया में एक दूरस्थ तंग घाटी में एक गुप्त चिकित्सा सुविधा (फ्रांजा पार्टिसन अस्पताल) में बहुत से कर्मचारी थे, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हजारों घायल सैनिकों की देखभाल करते थे — सभी नाजियों से छिपे रहते थे। हालांकि इस सुविधा का पता लगाने के कई नाजी प्रयासों से पता लगाने से बचना अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, इससे भी अधिक उल्लेखनीय यह है कि अस्पताल (स्लोवेनिया प्रतिरोध आंदोलन द्वारा स्थापित और संचालित) दोनों मित्र देशों और एक्सिस सेनाओं के सैनिकों की देखभाल करता है। अस्पताल ने सभी का स्वागत किया।

पवित्रशास्त्र हमें पूरी दुनिया को आध्यात्मिक रूप से चंगा होने में मदद करने के लिए बुलाता है। इसका मतलब है कि हमें सभी के लिए करुणा रखने की जरूरत है, चाहे उनके विचार कुछ भी हों। हर कोई, चाहे उनकी विचारधारा कुछ भी हो, मसीह के प्रेम और दया के पात्र हैं। पौलुस जोर देकर कहता है कि “यीशु का सर्वव्यापी प्रेम” हमें विवश करता है, क्योंकि हम जानते हैं कि एक सब के लिये मरा (2 कुरिन्थियों 5:14)। हम सभी पाप की बीमारी से पीड़ित हैं। हम सभी को यीशु की क्षमा के उपचार की सख्त जरूरत है। और वह हमें चंगा करने के लिए हम सब की ओर बढ़ा है।

फिर, एक आश्चर्यजनक कदम में, परमेश्वर ने हमें सुलह का संदेश सौंपा (पद 19)। परमेश्वर हमें घायल और टूटे हुए लोगों (हमारे जैसे) की देखभाल करने के लिए आमंत्रित करता है। हम चंगाई के कार्य में भाग लेते हैं जहाँ बीमारों को उसके साथ मिल कर स्वस्थ किया जाता है। और यह मेल–मिलाप, यह चंगाई, उन सभी के लिए है जो इसे प्राप्त करेंगे।

कुछ गहरा और बांधनेवाला

अमीना, एक इराकी अप्रवासी, और जोसफ, जन्म से एक अमेरिकी, ने विपरीत पक्षों पर एक राजनीतिक विरोध में भाग लिया। हमें यह विश्वास करना सिखाया गया है कि जो लोग जातीयता और राजनीति से अलग होते हैं वे एक–दूसरे के प्रति बेलगाम दुश्मनी रखते हैं। हालाँकि, जब एक छोटी सी भीड़ ने यूसुफ पर उसकी कमीज़ में आग लगाने की कोशिश की तो अमीना उसके बचाव के लिए दौड़ी। जोसेफ ने एक रिपोर्टर से कहा, “मुझे नहीं लगता कि हम लोगों के रूप में और अलग हो सकते हैं, और फिर भी यह ठीक नहीं है।”   राजनीति से भी गहरी कोई चीज अमीना और जोसफ को आपस में जोड़ती है ।

भले ही अक्सर हम में एक दूसरे के साथ वास्तविक असहमति होती है— कुछ जरूरी अन्तर होते हैं जिन्हें हम अक्सर अनदेखा नहीं कर सकते। कहीं  और अधिक गहरी वास्तविकताएँ है जो हमें एक साथ बांधती हैं। हम सब परमेश्वर के द्वारा बनाये गये और एक साथ एक प्यारे मानव परिवार में बांधे गये हैं।  परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक को — स्त्री पुरुष के भेद, सामाजिक वर्ग, जातीय पहचान या राजनैतिक मत की परवाह किए बिना बनाया है – अपने स्वरूप के अनुसार (उत्पत्ति1:27) कुछ और भी जो सच हो सकता है, परमेश्वर आपमें और मुझमें दोनों में दिखाई देता है इसके अलावा, उसने हमें ज्ञान और देखभाल के साथ परमेश्वर के संसार को “भरने” और “शासन” करने का एक साझा उद्देश्य दिया है (पद 28)।

जब भी हम भूल जाते हैं कि कैसे हम परमेश्वर में बंधे हैं, हम स्वयं को और दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन जब भी हम उनकी कृपा और सच्चाई में एक साथ आते हैं, हम एक अच्छी और समृद्ध दुनिया बनाने की उनकी इच्छा में भाग लेते हैं।

 

भीषण संघर्ष

896 में कार्ल एकली नाम के एक खोजकर्ता ने खुद को इथियोपिया के एक सुदूर हिस्से में पाया, जिसका पीछा अस्सी पाउंड के तेंदुए ने किया था। उसे याद आया कि तेंदुआ उछल रहा था, “अपने दाँत मेरे गले में डालने की कोशिश कर रहा था।” पर वह चूक गई, उसने अपने खतरनाक जबड़ों से उसका दाहिना हाथ पकड लिया। दोनों रेत में लुढ़क गए—एक लंबा, भयंकर संघर्ष। एकली कमजोर पड़ गया, और अब यह सवाल पैदा हो गया कि कौन पहले हार मान लेगा। अपनी आखिरी ताकत को समेटते हुए एकली अपने नंगे हाथों से उस बड़ी बिल्ली का दम घोंटने में सक्षम हुआ।

प्रेरित पौलुस ने समझाया कि कैसे हम में से प्रत्येक जो यीशु में विश्वास करते हैं अनिवार्य रूप से  अपने भयंकर संघर्षों का सामना करते हैं,जहाँ हम अभिभूत महसूस करते हैं और आत्मसमर्पण करने के लिए प्रलोभित होते हैं। इसके बजाय, हमें अपने शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े और दृढ़ बने रहना चाहिए (इफिसियों 6:11,14)। जब हम अपनी कमजोरी और संवेदनशीलता को पहचानते हैं तो डरने या टूटने के बजाय पौलुस ने हमें विश्वास में आगे बढ़ने के लिए चुनौती दी, यह याद करते हुए कि हम अपने साहस और ताकत पर नहीं बल्कि परमेश्वर पर भरोसा करते हैं। “यहोवा में और उसके पराक्रम में बलवन्त बनो” (पद 10)। जिन चुनौतियों का हम सामना करते हैं, उनमें वह केवल एक प्रार्थना दूर है (पद 18)।

हां, हमारे पास कई संघर्ष हैं, और हम अपनी शक्ति या चतुरता से उनसे कभी नहीं बचेंगे। लेकिन परमेश्वर किसी भी शत्रु या बुराई से अधिक शक्तिशाली है जिसका हम कभी भी सामना करेंगे।